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अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा

3 Solved Questions with Answers
  • 2024

    प्रश्न 9. समझाइये कि नार्को-आतंकवाद संपूर्ण देश में किस प्रकार एक गंभीर खतरे के रूप में उभरकर आया है। नार्को-आतंकवाद से निपटने के लिये समुचित उपायों पर सुझाव दीजिये। (उत्तर 150 शब्दों में दीजिये)

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • नार्को आतंकवाद के बारे में संक्षिप्त परिचय लिखिये।
    • देशभर में नार्को-आतंकवाद के खतरे के रूप में उभरने की व्याख्या कीजिये।
    • नार्को-आतंकवाद से निपटने के उपायों का उल्लेख कीजिये।
    • एक समग्र निष्कर्ष लिखिये।p9

    परिचय: 

    नार्को-आतंकवाद राज्यों, विद्रोहियों या आपराधिक नेटवर्क द्वारा नशीली दवाओं की तस्करी के माध्यम से राजनीतिक, आर्थिक या सामाजिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये संगठित अपराध का उपयोग है। नार्को-आतंकवाद तेज़ी से स्वर्णिम अर्द्धचंद्र (Golden Crescent) और स्वर्णिम त्रिभुज (Golden Triangle) के नशीले पदार्थों के उत्पादक क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है 

    मुख्य भाग:

    • नार्को-आतंकवाद एक खतरा:
      • यह हिंसा और संगठित अपराध का दोहरा खतरा उत्पन्न करता है, राष्ट्रों को अस्थिर करता है, संस्थाओं को भ्रष्ट करता है तथा वैश्विक स्तर पर विद्रोहों, कार्टेलो और चरमपंथी नेटवर्कों को वित्तपोषित करके सुरक्षा संकट को बढ़ावा देता है।
      • भारत के पूर्वोत्तर राज्य, पंजाब और जम्मू-कश्मीर प्रमुख भारतीय राज्य हैं जो नार्को-आतंकवाद से पीड़ित हैं। 
      •  भारत में, मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले नेटवर्क आतंकवाद को वित्तपोषित करने के लिये, विशेष रूप से अफगानिस्तान और म्याँमार के साथ लगी खुली सीमाओं का फायदा उठाते हैं
    • नार्को-आतंकवाद का मुकाबला करने के उपाय:
      • उन्नत सीमा निगरानी: नशीली दवाओं की तस्करी पर अंकुश लगाने के लिये ड्रोन, उपग्रह इमेजरी और एआई-आधारित निगरानी प्रणालियों जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करके सीमा सुरक्षा को मज़बूत करना।
      • वित्तीय निगरानी: मादक पदार्थों से जुड़े आतंकवादी वित्तपोषण का पता लगाने और उसे रोकने के लिये मज़बूत वित्तीय खुफिया तंत्र को स्थापित करना।
      • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: वैश्विक नार्को-आतंकवादी नेटवर्क को नष्ट करने के लिये यूएनओडीसी(UNODC) और इंटरपोल जैसे संगठनों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी को मज़बूत करना।
      • जन जागरूकता और पुनर्वास: नशीली दवाओं के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाना और उपभोक्ता आधार को कमज़ोर करने के लिये नशामुक्ति कार्यक्रम स्थापित करना।
      • कानूनी सुधार: मादक पदार्थों के तस्करों और आतंकवाद को वित्तपोषित करने वालों के खिलाफ सख्त सज़ा के लिये कानूनों को मज़बूत करना।

    निष्कर्ष: 

    नार्को-आतंकवाद का मुकाबला करने के लिये बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। सीमा सुरक्षा को मज़ बूत करना, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना और धन शोधन रोकथाम अधिनियम,2002 जैसे सख्त धन शोधन विरोधी उपायों को लागू करना महत्त्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त, सामाजिक-आर्थिक मुद्दों को संबोधित करना, वैकल्पिक आजीविका को बढ़ावा देना एवं शिक्षा में निवेश करना नशीली दवाओं की तस्करी तथा आतंकवाद की अपील को कम करने में सहायता कर सकता है, जिससे दीर्घकालिक स्थिरता को बढ़ावा मिलता है।

  • 2024

    प्रश्न 10. डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के संदर्भ और मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिये।

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • भारत के डेटा गोपनीयता परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 (DPDP अधिनियम) पेश किया गया।
    • अधिनियम से संबंधित संदर्भ लिखिये। 
    • इसकी प्रमुख विशेषताओं पर चर्चा कीजिये। 
    • भारत में डेटा गोपनीयता पर अधिनियम के महत्त्व और संभावित प्रभाव पर बल देते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये। 

    परिचय: 

    डिजिटल प्रौद्योगिकी के तेज़ी से विकास और डेटा-संचालित सेवाओं पर बढ़ती निर्भरता के बीच, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 भारत के डेटा गोपनीयता परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

    मुख्य भाग: 

    प्रसंग:

    • तीव्र डिजिटलीकरण: वर्ष 2023 तक इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं की संख्या 750 मिलियन से अधिक हो जाएगी।
    • डेटा उल्लंघन में वृद्धि: वर्ष 2021 में एयर इंडिया डेटा उल्लंघन, व्यक्तिगत सूचनाओं/जानकारी से समझौता करने वाली घटनाओं में वृद्धि का एक उदाहरण है।
    • वैश्विक डेटा संरक्षण रुझान: यूरोपीय संघ के सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन जैसे अंतर्राष्ट्रीय विनियम।
    • व्यापक कानून का अभाव: पूर्ववर्ती IT अधिनियम, 2000 पर अत्यधिक निर्भरता।
    • डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना: सबसे बड़ी बायोमेट्रिक ID प्रणाली आधार (Aadhaar) जैसी प्रणालियाँ।

    मुख्य विशेषताएँ:

    • प्रयोज्यता: यह भारत में वस्तुओं या सेवाओं की पेशकश करते समय भारत और विदेशों में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण पर लागू होता है।
      • व्यक्तिगत डेटा प्रसंस्करण के लिये व्यक्तिगत सहमति की आवश्यकता होती है, साथ ही डेटा संग्रहण उद्देश्यों के संदर्भ में स्पष्ट सूचना भी दी जाती है। 
    • डेटा प्रिंसिपल के अधिकार: व्यक्ति डेटा प्रोसेसिंग के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, सुधार की मांग कर सकते हैं।
    • डेटा फिड्युशरीज़ के दायित्व: डेटा फिड्युशरीज़ को डेटा की सटीकता सुनिश्चित करनी चाहिये और उद्देश्य पूरा होने के बाद डेटा को हटा/एरेज़ भी कर देना चाहिये।
    • छूट: कुछ अधिकार और दायित्व अपराध की रोकथाम या राज्य सुरक्षा के लिये सरकारी गतिविधियों जैसे मामलों पर लागू नहीं होते हैं।
    • भारतीय डेटा संरक्षण बोर्ड: एक नियामक निकाय अनुपालन की निगरानी करता है, दंड का प्रावधान करता है और शिकायतों का निवारण करता है।

    निष्कर्ष: 

    डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 भारत के डेटा संरक्षण परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है, जो व्यक्तिगत गोपनीयता अधिकारों, डिजिटल लोकतंत्र को उन्नत डिजिटल जाँच और राष्ट्रीय हितों की आवश्यकताओं के साथ संतुलित करने का प्रयास करता है।

  • 2024

    प्रश्न 19. भारत की चीन और पाकिस्तान के साथ दीर्घकालिक अशांत सीमा है, जिसमे अनेक विवादास्पद मुद्दे है। सीमा के साथ परस्पर-विरोधी मुद्दों तथा सुरक्षा-चुनौतियों का परीक्षण कीजिये। सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बी.ए.डी.पी.) तथा सीमा अवसंरचना और प्रबंधन (बी.आई.एम.) योजना के अंतर्गत इन क्षेत्रों में किये जाने वाले विकास-कार्यों को भी उल्लिखित कीजिये। (उत्तर 250 शब्दों में दीजिये)

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • चीन और पाकिस्तान के साथ भारत की सीमाओं के ऐतिहासिक तथा भू-राजनीतिक महत्त्व का संक्षेप में परिचय दीजिये।
    • बी.ए.डी.पी. और बी.आई.एम. के अंतर्गत परस्पर विरोधी मुद्दों, सीमा पर सुरक्षा चुनौतियों तथा विकास पहलों की जाँच कीजिये।
    • विकास प्रयासों के साथ सुरक्षा उपायों को संयोजित करने के महत्त्व के साथ निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    चीन और पाकिस्तान के साथ भारत की सीमाएँ ऐतिहासिक विवादों तथा सतत् सुरक्षा चुनौतियों से भरी हुई हैं। 

    मुख्य भाग:

    • चीन और पाकिस्तान के साथ भारत की सीमा: 
      • भारत-चीन सीमा, जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के नाम से जाना जाता है, जो लगभग 3,440 किलोमीटर तक फैली हुई है। पश्चिमी मोर्चे पर, भारत-पाकिस्तान सीमा जिसे नियंत्रण रेखा (LOC) के नाम से जाना जाता है, लगभग 740 किलोमीटर तक फैली हुई है। 
    • परस्पर विरोधी मुद्दे और सुरक्षा संबंधी चुनौतियाँ:
      • चीनी मोर्चा:
        • चीन के साथ मुख्य मुद्दा सीमा का अस्पष्टीकरण है, जिसके कारण प्राय: टकराव और झड़पें देखने को मिलते हैं। महत्त्वपूर्ण घटनाओं में वर्ष 2020 में गलवान घाटी संघर्ष, वर्ष 2017 में डोकलाम सैन्य गतिरोध शामिल हैं। LAC पर बुनियादी ढाँचे के निर्माण की होड़ तनाव को और बढ़ा देती है।
        • इन भारत-चीन सीमा चौकियों के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य उपभोक्ता चीनी वस्तुओं की तस्करी बड़े पैमाने पर होती है।
    • पाकिस्तान मोर्चा:
      • पाकिस्तान के साथ समस्या यह है कि वह प्राय: एलओसी का उल्लंघन करता है, सीमा पार से गोलाबारी करता है और आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ की कोशिश करता है। वर्ष 2019 का पुलवामा हमला और उसके बाद बालाकोट हवाई हमला इस अस्थिर स्थिति के हालिया उदाहरण हैं।
      • पाकिस्तान का दावा है कि संपूर्ण सर क्रीक, जिसमें वर्ष 1914 के मानचित्र में "हरी रेखा" से चिह्नित उसका पूर्वी तट भी शामिल है, उनका है।
    • सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बी० ए० डी० पी०): 
      • बी.ए.डी.पी. का उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे का विकास करना और लोगों के जीवन स्तर में सुधार करना है। 
      • परियोजनाओं में सड़कें, स्कूल और स्वास्थ्य सुविधाएँ निर्मित करना, सुरक्षा तथा सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना शामिल है। 
      • हिमाचल प्रदेश के किन्नौर ज़िले में सांगला से होकर 40 किलोमीटर लंबे करछम-चितकुल मार्ग का विकास किया गया, जो चीन के साथ सीमा साझा करता है।
    • सीमा अवसंरचना एवं प्रबंधन (बी.आई.एम.) योजना: 
      • यह पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन, नेपाल, भूटान और म्याँमार के साथ भारत की सीमाओं को सुरक्षित करने के लिये सीमा बाड़, सीमा फ्लड लाइट, तकनीकी समाधान, सीमा सड़कें और सीमा चौकियाँ (BOPs) तथा कंपनी संचालन अड्डों जैसे बुनियादी ढाँचे के निर्माण में सहायता करता है।
      • भारत की योजना भारत-बाँग्लादेश सीमा पर 383 और भारत-पाकिस्तान सीमा पर 126 समग्र सीमा चौकियाँ बनाने की है।

    निष्कर्ष:

    बी.ए.डी.पी. और बी.आई.एम. जैसी पहलों के माध्यम से भारत न केवल सीमा सुरक्षा में वृद्धि कर रहा है, बल्कि इन महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में विकास को भी बढ़ावा दे रहा है, जिसका उद्देश्य सीमा प्रबंधन के लिये एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना है।

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